Sunday, February 7, 2016

नात -ऐ - रसूल अल्लाह




आओ चलो चलें नबी अल्लाह के राह पे
दिल को लगा -२ के चले मुस्तफा के राह पे

आओ करें एहतराम  बुजुर्गाने दिन का
सिक्वे मिटा -२ के चलें वाली अल्लाह के राह पे

आओ भटको को राह दिखाएँ अल्लाह के वास्ते
ईमान बचा -२ के चलें हबीबल्लाह के राह पे

वसीला जरूरी है सच्चे मुसलमान के लिए
भेजो दरूद बार -२  चलो चलें ख्वाजा के राह पे

मौत आती है जिस तरह बहाने से
वसीला भी जरूरी है दो जहाँ के लिए

मैदान-ऐ -मेहसर में जलवागर होंगे नबी अल्लाह
दामन पकड़ -२  के चलो  चलें गौसे आजम के राह पे


Saturday, October 31, 2015

सहादत-ऐ -हुसैन




हम न भूलेंगे सहादत हुसैन की
वो खिताबत हुसैन की वो तिलावत हुसैन की

प्यास की सिद्दत में भी मैदान को न छोड़ा
लड़ते रहे बढ़ते रहे अली के दुलारे

हम याद रखेंगे वो करामत हुसैन की
हम न भूलेंगे मुहब्बत हुसैन की

पढ़ते रहो कलमा लगाओं जोर से नारा
इस्लाम जिन्दा होता ही हर कर्बला के बाद

लखते जिगर थे फातमा नबी के दुलारे
हम न भूलेंगे सखावत हुसैन की

वो जंग के मैदान में भी नमाजें नहीं छोड़ी
हम न भूलेंगे इबादत हुसैन की


हम न भूलेंगे सहादत हुसैन की 
वो खिताबत हुसैन की वो तिलावत हुसैन की 



Wednesday, July 10, 2013

RAMJAAN KA PEHLA ROJA




रमजान का आज पहला रोजा है ...हर रोजेदार का चेहरा रोनक से भरा है
बाजार सेवैयों ,नए कपड़ो ,मिठाइयों और अत्र और दातून से सजने लगे
इस मुबारक महीने में सैतानो को खुदावन्द करीम कैद कर देता है

इसलिए मस्जिदों में नमाजिओं की तादात बेतहासा बढ़ जाती है

काश ऐसे ही हमारी मस्जिदें हमेंसा आबाद होती , खुदावंद करीम हम
सब को नमाज पढ़ने और नेकी की राहपर चलने की तौफीक दे ....आमीन 

Monday, April 22, 2013



सब्रोकरार  का दामन छूटने न पाए
सब्र करनेवालों से खुदा दूर न जाए

मंजीलें मक़सूद भी मिल ही जाए
खुदा जिसदम राजी हम से हो जाए 

Monday, March 4, 2013




ख़ुशी वो नेमत है जो खुदा बख्स्ता है खुस्नशिबों को
हर वो सख्स खुसनसीब है ,जो प्यारे नबी s.a.w.के उम्मत में है 

Friday, August 31, 2012

Sehari




जागो जागो रब के प्यारे रात थोरी रह गई
झिलमिलाते है सितारे रात थोरी रह गई

उठो उठो बिस्तर चोरो दूर अब सुस्ती करो
गर जो की अब लापरवाही नींद फिर आ जाएगी


वक़्त निकल जायेगा तब देर फिर हो जाएगी
जागो जागो रब के प्यारे रात थोरी रह गई

उठो उठो बिस्तर छोरो  वक़्त शहरी हो चला
झिलमिलाते है सितारे रात थोरी रह गई











Wednesday, January 19, 2011

सरकार की गली में


अरब की सरजमी पे कदम रखना है
प्यारे नबी की गलियों में भटकना है

उन गलियों की क्या दास्ताँ सुनाऊ
वहां पे तो सरकार का खजाना है

लुट सको तो लूटो दिन रात लुटता है
हुजुर के सदके का हर फर्द दीवाना है

उनकी गलियों की धुल ही मिल जाए मुझे
उन गलियों में ही अब दिल को लगाना है

खुदारा एक बार बुला लो मुझको भी
जिन गलियों में रहमत का खजाना है

ख़ुदारा उनका दामन न छुते कभी
सरकार की उम्मत में खुस सारा जमाना है